हादसे में घायल मरीजों के लिए अब कॉटन, बैंडेज भी नसीब नहीं, जेएएच का सब ठीक का दावा। ग्वालियर। जयारोग्य अस्पताल में यदि कोई हादसे से घायल मरीज आ जाए तो उसे तत्काल इलाज मुहैया होना मुश्किल है। यदि वो अपने परिजनों के साथ आया तो ठीक, वरना उसका भगवान ही मालिक है। क्योंकि इस अस्पताल में रोजमर्रा इस्तेमाल में आने वाले जरूरत की सामग्री का स्टॉक लगभग खत्म हो गया है, जिसकी वजह से यहां आने वाले मरीजों के परिजनों को बाहर से मरहम पट्टी और दवा का इंतजाम करना पड़ रहा है। यहां आने वाले सौ फीसदी मरीज और जयारोग्य अस्पताल खुद बाहर की दवाईयों के भरोसे हैं। इन सामानों की है कमी दर्द निवारक इंजेक्शन, 'टिटनेसÓ का इंजेक्शन, घायल मरीजों के घावों पर लगने वाली स्प्रीट, बैंडेज-कॉटन नहीं है। प्राथमिक उपचार में आने वाले सामान भी नहीं हैं। "हम लोग एक गरीब महिला को लेकर अस्पताल पहुंचे, वहां कॉटन, बैंडेज तक नहीं थे। बाजार से सामान खरीदकर लाने के बाद ही इलाज शुरू हो सका।" हरिमोहन, सचिव, केयर एंड अवेयर फाउंडेशन "मरीजों को होने वाली परेशानी दूर करने के लिए प्रयास किए जा रहे हैं, जल्द इनको दूर कर लिया जाएगा। कॉलेज काउंसिल की बैठक में मरीजों की परेशानी को लेकर कई निर्णय हुए हैं।" डॉ.जेएस सिकरवार,अधीक्षक, जेएएच और थमा दिया सामान का पर्चा अचलेश्वर मंदिर पर पैर में पड़े घाव के दर्द से कराहती दुर्गेश को जब केयर एंड अवेयर फाउंडेशन के सदस्य इलाज के लिए कमलाराजा अस्पताल फीमेल सर्जीकल वार्ड लेकर पहुंचे, तो वहां मौजूद डॉक्टर ने उपचार से पहले बाजार से सामान खरीदकर लाने के लिए पर्ची थमा दी। संस्था के पदाधिकारियों ने महिला की स्थिति डॉक्टर को बताई, लेकिन डॉक्टर ने बाजार से सामान खरीदकर न लाने पर इलाज करने से ही मना कर दिया। ट्रॉमा सेंटर में अव्यवस्था देख विधायक नाराज जेएएच के ट्रॉमा सेंटर की अव्यवस्था किसी से छुपी नहीं है, इसके बाद भी अस्पताल प्रबंधन सब कुछ ठीक होने का दावा करता है। गुरुवार को एक बार फिर प्रबंधन की व्यवस्थाओं की पोल सुमावली विधायक सत्यपाल सिंह सिकरवार ने खोल दी। दरअसल विधायक सड़क दुर्घटना में घायल एक महिला को देखने यहां पहुंचे थे।
ट्रॉमा के आईसीयू में भर्ती मरीज के इलाज में बरती जा रही लापरवाही को देखकर उन्होंने डीन से लेकर अस्पताल अधीक्षक तक से बात करने की कोशिश की, लेकिन किसी से भी उनकी बात नहीं हो सकी। लिहाजा उन्होंने स्वास्थ्य सचिव प्रभांशु कमल को जेएएच की अव्यवस्था से अवगत कराया। इसके बाद प्रबंधन हरकत में आया और मरीज के बेहतर इलाज की व्यवस्था हो सकी। अरुणा परमार नामक महिला घायल होकर यहां पहुंची थी। jaya arogya hospital needed materials almost over pasent cotton bandages